अर्थशास्त्र
by A Nagraj
सदस्यों में से एक सदस्य उस सभा का प्रधान निश्चित काल के लिए निश्चयन कर लेना भी सहज है। ग्राम सभा का निर्वाचन आवश्यकता पड़ने पर पुन: निर्वाचन कार्य को यथावत् किया जा सकता है। इसका विचार और सम्मति का स्वतंत्रता हर परिवार, परिवार समूह में भी रहेगा। अंततोगत्वा परिवारों की आवश्यकता के आधार पर ही पुनर्निवाचन की प्रक्रिया समीचीन रहेगा।
परिवार मूलक ग्राम स्वराज्य सभा अपने ही ग्राम के व्यक्तियों में से 5 समितियों को गठित करेगा। यह प्रधानत :- (1) न्याय-सुरक्षा करेगा अथवा न्याय सुरक्षा को संतुलित बनाए रखेगा, (2) उत्पादन-कार्यकलाप को संतुलित बनाए रखेगा, (3) विनिमय-कोष कार्यों को संतुलित बनाए रखेगा, (4) शिक्षा-संस्कार कार्य को संतुलित बनाए रखेगा और (5) स्वास्थ्य-संयम कार्यों को संतुलित बनाए रखेगा। इन्हीं कार्यकलापों के आधार पर क्रमश: (1) न्याय-सुरक्षा समिति (2) उत्पादन-कार्य समिति (3) विनिमय-कोष समिति (4) शिक्षा-संस्कार समिति और (5) स्वास्थ्य-संयम समिति नामकरण होगा। कार्य और नाम से यह सुस्पष्ट है कि इस स्वरूप के साथ मानव प्रयोजन, आवश्यकता और अनिवार्यता को अनुभव कर सकता है। इसी क्रम में विश्व परिवार सभा तक 5-5 समितियों का गठन होना सहज है। और हर समिति हर स्तरीय समिति एक दूसरे के साथ संचार और अनुप्राणन संबंध को बनाए रखेंगे। इसमें से विनिमय कोष समिति के द्वारा विनिमय कार्यों को गाँव में और एक-दूसरे गाँव के साथ सार्थक होगी। गाँव में ग्राम सभा ही वस्तु मूल्यों का मूल्यांकन, उसका ध्रुवीकरण क्रियाकलापों की विधि पर निर्णय लेगा।