मानवीय संविधान

by A Nagraj

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1. विज्ञान के साथ - चैतन्य पक्ष का अध्ययन

2. मनोविज्ञान शास्त्र के साथ - संस्कार (अनुभव मूलक-प्रमाण) पक्ष का अध्ययन

3. दर्शन शास्त्र के साथ - क्रिया पक्ष (अनुभव प्रमाण) का अध्ययन

4. अर्थशास्त्र के साथ - प्राकृतिक एवं वैकृतिक ऐश्वर्य का (ग्राम स्वराज्य विधि

से) सदुपयोग व सुरक्षात्मक पक्ष का अध्ययन

5. राजनीति शास्त्र के साथ - मानवीयता का संरक्षण एवं संवर्धनात्मक

विधि व्यवस्था नीति पक्ष का अध्ययन

6. समाजशास्त्र के साथ - मानवीय संस्कृति अखण्ड समाज तथा

सभ्यता पक्ष का अध्ययन

7. भूगोल, इतिहास के साथ - मानव तथा मानवीयता पक्ष का अध्ययन

8. साहित्य के साथ - तात्विकता का अर्थात् सहअस्तित्व रूपी परम सत्य

का अध्ययन

उक्त सभी आयामों के विस्तृत अध्ययन हेतु ‘मध्यस्थ दर्शन – सहअस्तित्ववाद’ शास्त्र के रूप में प्रस्तावित है। यही जागृत चेतन परंपरा के लिए स्रोत है क्योंकि सहअस्तित्व नित्य वर्तमान और प्रभावी है।

7.1 (4) मानवीय शिक्षा

  • कितना समझना - सहअस्तित्व में, से, के लिए सम्पूर्ण समझ, सहअस्तित्व चार पद, चार अवस्था के रूप में समझना प्रमाणित कराना ही जागृत अथवा समझदार परंपरा है।

क्या समझना (जीना) - जीवन एवं जीवन मूल्य, मानव लक्ष्य प्रमाण सहज अभिव्यक्ति सम्प्रेषणा में, से, के लिए मानवीयतापूर्ण आचरण सहित व्यवस्था में जीना।