मानवीय संविधान
by A Nagraj
नेत्रों में सहअस्तित्व सहज प्रतिबिंब आंशिक रूप समायी है। जबकि हर नर−नारी में पूरा समझना अध्ययन विधि से सहज है। सहअस्तित्व चार अवस्था व पदों में होना रहना समझ में आता है ।
व्यवस्था के कार्यक्रम (समितियाँ)
- शिक्षा-संस्कार कार्य-व्यवस्था समिति
- सार्वभौम न्याय-सुरक्षा कार्य-व्यवस्था समिति
- उत्पादन-कार्य-व्यवस्था समिति
- विनिमय-कोष कार्य-व्यवस्था समिति
- स्वास्थ्य-संयम कार्य-व्यवस्था समिति
शिक्षा-संस्कार कार्य व्यवस्था समिति
शिक्षा में वस्तु स्वरूप :- सहअस्तित्व सहज अर्थ में भौतिक रासायनिक एवं जीवन क्रियाकलापों का अध्ययन सर्वसुलभ होना है - विकास क्रम, विकास, जागृति क्रम, जागृति में ही यथास्थिति गति सहित परस्परता में उपयोगिता-पूरकता विधि सहित सिद्धांत, अस्तित्व मूलक मानव केन्द्रित चिंतन (नजरिया) सहज अध्ययन बोध, अनुभव प्रमाण मूलक अभिव्यक्ति, सम्प्रेषणा, प्रकाशन प्रबुद्ध परंपरा।
संस्कार स्वरूप :- जागृति, जागृति सहज प्रमाण, जानना, मानना, पहचानना, निर्वाह रूप में प्रमाण होना, रहना परंपरा है। समझदारी, ईमानदारी, जिम्मेदारी, भागीदारी को अखण्ड समाज सहज सार्वभौम व्यवस्था में भागीदारी प्रमाण। प्राकृतिक, बौद्धिक, सामाजिक नियमों का पालन करते हुए मानव लक्ष्य को साकार करने के रूप में प्रमाण।
7.1 (1) उद्देश्य -
व्यवहारिक उद्देश्य