मानवीय संविधान
by A Nagraj
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- मानव सहज बहुआयामी समझदारी को प्रमाणित करने में हर जागृत नर-नारी स्वतंत्र है। यह मौलिक अधिकार है।
- मानवीयता पूर्ण परंपरा पाँच आयामी व्यवस्था में भागीदारी करने में हर जागृत नर-नारी स्वतंत्र है। यह मौलिक अधिकार है।
- हर जागृत नर-नारी को तन-मन-धन रूपी अर्थ का सदुपयोग व सुरक्षा करने की स्वतंत्रता है। यह मौलिक अधिकार है।
- हर जागृत नर-नारी मानवत्व सहित व्यवस्था समग्र व्यवस्था में भागीदारी करने की स्वतंत्रता है। यह मौलिक अधिकार है।
स्वत्व का अधिकार
स्वत्व
- ज्ञान, विवेक, विज्ञान सम्पन्नता सहित परिवार सहज आवश्यकता से अधिक उत्पादन जागृत मानव में, से, के लिए स्वत्वता है। यह मौलिक अधिकार है।
- हर जागृत नर-नारी में, से, के लिये नियम, नियंत्रण, संतुलन, न्याय, धर्म, सत्य सहज रूप में स्वत्व है। यह मौलिक अधिकार है।
- हर जागृत नर-नारी में, से, के लिये सहअस्तित्व रूपी सत्य, सर्वतोमुखी समाधान रूपी मानव धर्म सूत्र-व्याख्या, संबंध व मूल्य चरित्र नैतिकता सहज निर्वाह रूपी न्याय स्वत्व है। यह मौलिक अधिकार है।
स्वत्व में विश्वास
- सहअस्तित्व सहज अस्तित्व में विश्वास
- सहअस्तित्व नित्य वर्तमान होने में विश्वास
- जानने, मानने में विश्वास
- विकास क्रम में विश्वास
- विकास सहज जीवन में विश्वास
जीवन जागृति में विश्वास