मानवीय संविधान
by A Nagraj
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- मानवीयता पूर्ण आचरण वैभव मूल्य, चरित्र, नैतिकता सहित परिवार व्यवस्था, दश सोपानीय व्यवस्था में भागीदारी अखण्ड समाज, सार्वभौम व्यवस्था सहज परंपरा ही जागृत मानव परंपरा है।
राष्ट्रीय व्यवस्था = परिवार मूलक स्वराज्य व्यवस्था दस सोपान में जागृत मानव में, से, के लिए परंपरा है। यही मानव, देव मानव, दिव्यमानव चेतना सहज वैभव है।
राष्ट्र = चारों अवस्था सहित सहअस्तित्व में, से, के लिए परंपरा है।
राष्ट्रीयता = नियम, नियंत्रण, संतुलन, न्याय, समाधान, सहअस्तित्व रूपी परम सत्य में, से, के लिए प्रमाण सहज वैभव जागृति।
जागृति = सहअस्तित्व में, से, के लिए जानना, मानना, पहचानना, निर्वाह करना।
राष्ट्रीय चरित्र = मानवीयता पूर्ण आचरण सहित अखण्ड राष्ट्र समाज व्यवस्था सहज प्रमाण ही सार्वभौमता है।