मानवीय संविधान
by A Nagraj
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- शक्ति केन्द्रित शासन प्रणाली में दण्ड प्रक्रिया यंत्रणा, अर्थदण्ड और प्राणदण्ड के रूपों में होना देखा गया। सभी शासन प्रणालियों को सदा से ही भय और प्रलोभन के चक्र में घूमते हुए, पलते हुए देखा गया। विभिन्न समुदायों ने अपने अपने आचरणों को श्रेष्ठ माना; साथ ही वे अन्य लोगों के साथ अंतर्विरोध के साथ द्रोह, विद्रोह, शोषण और युद्ध से प्रभाावित रहे आए। फलस्वरूप मानव समुदाय की परस्परता में अंतर्विरोध रहा और प्रत्येक समुदाय में भी अंतर्विरोध प्रश्न चिन्ह बनकर खड़े रहा।
पूर्ववर्ती दर्शन
- रहस्यमूलक ईश्वर केन्द्रित चिंतन ज्ञान बनाम आदर्शवाद। इसी के साथ आगम और निगम प्रबंध मानव परंपरा में स्थापित हुआ है।
- अस्थिरता-अनिश्चयता मूलक तर्क सम्मत वस्तु केन्द्रित चिंतन ज्ञान बनाम विज्ञान। इसके समर्थन में तकनीकी एवं प्रौद्योगिकी प्रयोग विधियाँ स्पष्ट हो चुकी है।
पूर्ववर्ती विचारों के रूप में
- द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद।
- संघर्षात्मक जनवाद।
- रहस्यात्मक अध्यात्मवाद। अधिदैवीवाद व अधिभौतिकवाद।
पूर्ववर्ती शास्त्रों के रूप में
- लाभोन्मादी अर्थशास्त्र।
- भोगोन्मादी समाजशास्त्र।
कामोन्मादी मनोविज्ञान।