मानवीय संविधान

by A Nagraj

Back to Books
Page 28

व्यवहारिक = मानव लक्ष्य को व्यवस्था क्रम में प्रमाणित करने का कार्यक्रम आचरण गति (दश सोपानीय स्वराज्य व्यवस्था)।

विधि

तात्विक = जीवन लक्ष्य अर्थात् सुख, शांति, संतोष, आनंद अर्थ में, मानव लक्ष्य यथा समाधान, समृद्धि, अभय, सहअस्तित्व में, से, के लिए अखण्ड समाज सार्वभौम व्यवस्था सहज प्रमाण के रूप में है।

बौद्धिक = जीवन जागृति प्रमाण सहज परंपरा के रूप में सर्व सुलभ होना ही सर्व शुभ है।

व्यवहारिक = जागृत मानव परंपरा में, से, के लिए कायिक, वाचिक, मानसिक व कृत, कारित, अनुमोदित भेदों से परंपरा प्रमाणित होना ही है।

न्याय

न्याय = मानव सम्बंधों में मूल्यों का निर्वाह, मूल्यांकन, परस्पर उभय तृप्ति, संतुलन।

तात्विक = समाधान, समृद्धि, अभय, सहअस्तित्व के अर्थ में अध्ययन, उत्पादन, कार्य-व्यवहार करना।

बौद्धिक = संबंधों की पहचान, मूल्यों का निर्वाह करने का संकल्प, मूल्यांकन स्वीकृति, उभय तृप्ति सहज स्वीकृति।

व्यवहारिक = परिवार संबंधों का निर्वाह, परिवार व्यवस्था का निर्वाह, समाधान-समृद्धि प्रमाण सहित सार्वभौम व्यवस्था सहज परंपरा।

व्यवस्था

तात्विक = सहअस्तित्व में अनुभव सहज विश्वास पूर्वक वर्तमान में दृढ़ता व निश्चयता पूर्वक अभिव्यक्ति, सम्प्रेषणा, प्रकाशन।

बौद्धिक = सर्वतोमुखी समाधान पूर्वक मानवत्व सहज अभिव्यक्ति-सम्प्रेषणा को प्रमाणित करना।