मानवीय संविधान

by A Nagraj

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  • समाधान ही सुख है। समझदारी पूर्वक समृद्ध सम्पन्न मानसिकता सहित किया गया श्रम नियोजन से समृद्धि सुलभ होता है।
  • समझदारी सहअस्तित्व सहज विधि से सर्व सुलभ रहता है।
  • तर्कसंगत पद्धति का तात्पर्य प्रयोजनपूर्वक किया गया प्रक्रिया कार्य-व्यवहार में प्रमाणित होने योग्य प्रणाली सहित प्रेरणाकारी प्रयोजनशील क्रिया है।

जीवन, दृष्टापद

जीवन : गठनपूर्ण परमाणु, परिणाम का अमरत्व सहित नित्य विद्यमान होना, रहना यही चैतन्य इकाई जीवन है।

दृष्टा पद : मानव में शून्याकर्षण ही नियन्त्रित संवदेना सम्पन्न प्रभाव समेत सहअस्तित्व में अनुभव प्रमाण बोध संकल्प सहित, बोध संकल्प चिंतन चित्रण सहित, चिंतन चित्रण क्रम सहित तुलन विश्लेषण पूर्वक आस्वादन चयन क्रियाकलाप सहित दृष्टा पद में होना रहना है। यही समझदारी सम्पन्नता है। इसके लिए स्त्रोत चेतना विकास मूल्य शिक्षा-संस्कार है।

  • जागृत जीवन ही ज्ञाता पद में वैभव है। ज्ञान सम्पन्न होना ही जागृति और मानव कुल में ज्ञाता पद सहज प्रमाण है।
  • सहअस्तित्व में गठनपूर्णतावश जीवन रूपी परमाणु अमर, अपरिणामी, चैतन्य इकाई, नित्य होने का अध्ययन होता है।
  • जीवन में जागृति व जागृति पूर्णता है और जीवन नित्य है, क्रियापूर्णता, आचरणपूर्णता सहित आहार-व्यवहार पूर्वक स्वस्थ शरीर का भी मूल्यांकन होता है।

जीवन में ही स्वयं का, जीव जगत व जीवन महिमा का पहचान विचार निश्चयन दृढ़ता प्रमाण, सहअस्तित्व में अनुभव सहज प्रमाण, अनुभव का बोध सहज संकल्प, न्याय-धर्म-समाधान-सत्य सहज स्वीकृति विश्लेषण, मूल्यों का आस्वादन सहित संबंधों का चयनपूर्वक कार्य-व्यवहार में, से, के लिए अध्ययन व्यवहार अनुभव है।