मानवीय संविधान

by A Nagraj

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  • नित्य वैभव ही सत्ता में सम्पृक्त प्रकृति चार अवस्था में है। व्यापक वस्तु ही सत्ता, जागृत मानव परंपरा में व्यवस्था सहज प्रमाण ही प्रबुद्धता, संप्रभुता, प्रभुसत्ता है क्योंकि संज्ञानीयतापूर्वक संवेदनायें नियंत्रित होते हैं।
  • हर नर नारी में, से, के लिये प्रबुद्धता, संप्रभुता, प्रभुसत्ता में, से, के लिये स्वत्व स्वतंत्रता अधिकार समान है। हर नर नारी प्रबुद्धता संपन्न होने का मौलिक अधिकार है। यही वर्तमान में विधि है। विधि-विधान पूर्वक दश सोपानीय परिवार मूलक स्वराज्य व्यवस्था है।

प्रबुद्धता-संप्रभुता-प्रभुसत्ता सहज आचरण सूत्र व्याख्या

परिभाषा :- प्रत्येक सूत्र शब्द के साथ शाश्वत, नित्य, अखण्ड, सार्वभौम दृष्टि सहित स्थिर, निश्चय सहज वैभव वर्तमान स्पष्ट होने में, से, के लिए है।

प्रबुद्धता

  • ज्ञान, विवेक, विज्ञान संपन्नता सहज प्रमाण कार्य-व्यवहार व्यवस्था में भागीदारी।
  • समझदारी, ईमानदारी सम्पन्नता सहित जिम्मेदारी व भागीदारी।

संप्रभुता

  • प्रबुद्धता सहित अखण्ड राष्ट्र समाज सूत्र व्याख्या में पारंगत प्रमाण। यही समझदारी है।
  • ईमानदारी सम्पन्नता जिम्मेदारी-भागीदारी के रूप में स्पष्ट होना।

प्रभुसत्ता

  • अखण्ड समाज एवं राष्ट्र-राष्ट्रीयता सहित दश सोपानीय स्वराज्य व्यवस्था मानवत्व रूप में प्रबुद्धता संप्रभुता सहित सार्वभौम व्यवस्था में भागीदारी।
  • समझदारी, ईमानदारी, जिम्मेदारी, भागीदारी के रूप में प्रमाण परंपरा। यही प्रबुद्धता पूर्ण सत्ता है।

राष्ट्र