मानवीय संविधान

by A Nagraj

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“अखण्ड सामाजिकता में पारंगत बनने और बनाने की क्रिया प्रबुद्धता। उसका आचरण, परिवार व्यवस्था में समाधान, समृद्धि सहज प्रमाण संप्रभुता और उसकी निरंतरता क्रम में संरक्षण व संवर्धन पूर्वक सार्वभौम व्यवस्था में भागीदारी करने व कराने का कार्य प्रभुसत्ता है।”

यही मानवीय आचार संहिता रूपी संविधान का सूत्र है। ग्राम स्वराज्य का अंतिम लक्ष्य अखण्ड सामाजिकता सहज निरंतरता है, जिससे समाज में प्रत्येक मानव को बौद्धिक समाधान व भौतिक समृद्धि, अभयता व सहअस्तित्व सार्वभौम रूप में अनुभव सुलभ हो सके।

“परिवार केन्द्रित ग्राम स्वराज्य का अनुभव करना व कराना, इस योजना का मुख्य उद्देश्य है।” गाँव व मोहल्ला के प्रत्येक परिवार में प्रत्येक सदस्य मानवीयता पूर्ण आचरण करेगा। प्रत्येक मानव, मानव व नैसर्गिक संबंधों व उनमें निहित मूल्यों की पहचान व निर्वाह करेंगे व भौतिक समृद्धि को प्राप्त करेंगे (आवश्यकता से अधिक उत्पादन) और बौद्धिक समाधान को व्यक्त, संप्रेषित व प्रकाशित करेंगे। ऐसी अर्हता को सुलभ करा देना, ग्राम स्वराज्य है। ‘ग्राम स्वराज्य योजना’ का आधार समाधान समृद्धि को विकसित कर उसको व्यवस्था के रूप में क्रियान्वयन करना है, यही इसकी अवधारणा और प्रतिबद्धता है।

ग्राम स्वराज्य योजना के लिए पूर्व आंकलन

ग्राम स्वराज्य व्यवस्था को आरंभ करने के पूर्व यह आवश्यक है कि उस ग्राम के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त कर ली जाय। इस जानकारी, सर्वेक्षण एवं आंकलन के आधार पर ग्राम स्वराज्य व्यवस्था की निश्चित रूप में योजना बनायी जाये। जानकारी का प्रकार निम्न होगा :-

  • ग्राम का नाम, जिला, पोस्ट ऑफिस, पिन कोड, प्रान्त। स्थानीय तापमान, वर्षा, शीतमान, जलस्रोत, वन, खनिज तथा ग्राम से जुड़े भू-क्षेत्र चित्र रूप में गणना आंकलन।

गाँव की जनसंख्या, आयु, आय, वर्ग, स्त्री, पुरुष, बच्चें, लड़का, लड़की के आधार पर।