मानवीय संविधान

by A Nagraj

Back to Books
Page 146

प्रेम अनन्यता

मानव संबंधों में साम्य मूल्य विश्वास तथा पूर्ण मूल्य प्रेम है। बिना विश्वास के कोई भी संबंध का निर्वाह संभव नहीं है। संबंधों में विश्वास का निर्वाह न कर पाना ही अन्याय है, जिसका सुधार भावी है।

मानव के नैसर्गिक संबंध तीन प्रकार से गण्य है :-

  • पदार्थावस्था के साथ संबंध
  • प्राणावस्था (अन्न, वनस्पति) के साथ संबंध
  • जीवावस्था (पशु-पक्षी आदि मानवेतर जीवों) के साथ संबंध

उपरोक्त संबंधों में उपयोगिता मूल्य दो प्रकार से गण्य है :-

  • परस्पर पूरकता, उदात्तीकरण के रूप में रचना-विरचना क्रम में उपयोगिता व कला मूल्य।
  • परमाणु में विकास क्रम में उपयोगिता-पूरकता सहज प्रमाण।

उपयोगिता का स्वरूप निम्न है :-

  • प्राकृतिक सम्पदा (खनिज, वनस्पति तथा पशु-पक्षी) का उनके संतुलन सहज अनुपात में उपयोग।
  • प्राकृतिक सम्पदा में अवरोध न डालना।
  • प्राकृतिक सम्पदा समृद्ध होने-रहने में सहायक बनना।

(नैसर्गिक पवित्रता संतुलन को समृद्ध बनाए रखे बिना मानव स्वयं समृद्ध नहीं हो सकता।)

  • उत्पादन में न्याय :-
  • प्रत्येक व्यक्ति परिवार सहज आवश्यकता से अधिक उत्पादन करना।
  • प्रत्येक व्यक्ति में आवश्यकता से अधिक उत्पादन करने योग्य कुशलता, निपुणता व पाण्डित्य को प्रमाणित करना, जिसका दायित्व शिक्षा संस्कार समिति को होगा।

उत्पादन के लिए व्यक्ति में निहित क्षमता योग्यता के अनुरूप उसे प्रवृत्त करना जिसका दायित्व “उत्पादन कार्य सलाह समिति” का होगा।