मानवीय संविधान

by A Nagraj

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  • स्वशुभ सर्वशुभ में समाहित विधि से किया गया सोच-विचार-निश्चयन समाधान है।
  • अनुभवमूलक विधि से सर्व शुभ सोच-विचार-निश्चयन समाधान है।
  • जागृति विधि से जीने का सोच-विचार-निश्चयन समाधान है।
  • हर नर-नारी में, से, के लिये जीवन समान शरीर में भिन्नता का सोच-विचार-निर्णय समाधान है।
  • हर नर-नारी में, से, के लिए जागृति समानता का सोच-विचार-निर्णय समाधान है।
  • हर मानव में, से, के लिये ज्ञान, विवेक, विज्ञान सम्पन्नता का अधिकार सहित समान होने के रूप में सोच-विचार-निश्चयन समाधान है।
  • समाधान
  • भौतिक-रासायनिक प्रकृति को यथास्थिति विधि से ‘त्व’ सहित व्यवस्था, समग्र व्यवस्था में भागीदारी के रूप में होने का सोच-विचार-निर्णय समाधान है।
  • भौतिकता को परिणामानुषंगीय, प्राणावस्था को बीजानुषंगीय परंपरा होने का सोच-विचार-निर्णय समाधान है।
  • जीवावस्था को वंशानुषंगीय परंपरा होने का सोच-विचार-निर्णय समाधान है।
  • ज्ञानावस्था में मानव को ज्ञाननुषंगीय, यथा समझदारी, ईमानदारी, जिम्मेदारी पूर्वक परंपरा होने का सोच-विचार-निर्णय समाधान है।
  • मानव परंपरा को सहअस्तित्व में मानवत्व में प्रमाणित होने वाले ईकाई के रूप में किया गया सोच-विचार-निर्णय समाधान है।
  • मानव परंपरा को दृष्टा पद में होने का सोच-विचार-निर्णय समाधान है।
  • मानव परंपरा अनुभवमूलक होने का सोच-विचार-निश्चयन समाधान है।
  • मानव सहअस्तित्व में अनुभव परंपरा होने का सोच-विचार-निश्चयन समाधान है।

मानव परंपरा सहअस्तित्व सहज जागृति में, से, के लिये विकास क्रम, विकास, जीवन, जीवन जागृति क्रम, जागृति सहज दृष्टा, ज्ञाता, कर्ता भोक्ता होने का सोच-विचार-निश्चयन समाधान है।