ज्वलंत |
jvalant |
80 |
- सर्वविदित या सर्वाधिक लोगों को विदित।
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ज्योति |
jyoti |
80 |
- व्यापक में अनुभव ही शाश्वत प्रकाश है इसको ज्योति संज्ञा है।
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झांकी |
jhanki |
80 |
- भ्रमित मानव में दिखावा उपक्रम।
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झूठ |
jhooth |
80 |
- अधिमूल्यन, अवमूल्यन, निर्मूल्यन वक्तव्य।
- अतिव्याप्ति, अनाव्याप्ति, अव्याप्ति दोष, भ्रम।
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झेलना |
jhelana |
80 |
- भ्रमित मानव ही न चाहते हुए निर्वाह करना।
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ढांचा |
dhancha |
80 |
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ढलना |
dhalana |
80 |
- खनिज व प्राणावस्था के वस्तुओं को मानव मनाकार में परिवर्तित कर उपयोगी व कलात्मक रूप में बदलना।
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तकनीकी |
takniki |
80 |
- प्राकृतिक ऐश्वर्य पर उपयोगिता मूल्य व कला मूल्य को स्थापित करना, कर्माभ्यास पूर्वक किया गया प्रमाण।
- निपुणता, कुशलता, पाण्डित्य का संयुक्त स्वरूप।
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तत् |
tat |
81 |
- अभ्युदय और नि:श्रेयस ही तत् से इंगित होता है।
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तत्परता |
tatparta |
81 |
- मानवीय व्यवहार आचरण में निष्ठा।
- मन:स्वस्थता को प्रमाणित करने में निरंतरता सहज प्रमाण।
- विकास क्रम में सक्रियता।
- उत्पादन क्रियाकलाप में लगन शीलता।
- मानवीय व्यवहार आचरण में निष्ठा।
- उदय की ओर परावर्तन क्रिया।
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तत्व |
tatva |
81 |
- परमाणु की स्थिति + गति।
- अस्तित्व में संपूर्ण भावों के मूल में पाए जाने वाले अनेक प्रजाति के परमाणु।
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तत्व अमरवादी |
tatva amarvadi |
81 |
- पदार्थावस्था अस्तित्वधर्मी, प्राणावस्था अस्तित्व सहित पुष्टिधर्मी, जीवावस्था अस्तित्व पुष्टि सहित जीने की आशाधर्मी, ज्ञानावस्था अस्तित्व पुष्टि आशा सहित सुखधर्मी।
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तत्व ज्ञान |
tatva gyan |
81 |
- अस्तित्व में परमाणु में विकास, जीवन, जीवन-जागृति, भौतिक रासायनिक रचना, विरचना, क्रियाओं का जानना, मानना।
- परमाणु में अंशों की संख्या भेदों को जानना मानना।
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तत्सान्निध्यता |
tatsannidhyata |
81 |
- जागृति परम्परा में परस्परता।
- इष्ट का आशय भाव ही तत्सान्निध्यता है।
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तत्संबंधी |
tatsambandhi |
81 |
- यथार्थता, वास्तविकता, सत्यता को प्रमाणित करने के क्रम में।
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तथ्यवश |
tathyavash |
81 |
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तदनुकूल |
tadanukul |
81 |
- आत्मीयता के अनुरूप, अनुभव के अनुरूप।
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तदाकार |
tadakar |
81 |
- सह-अस्तित्व में अनुभव और अनुभव सहज प्रमाण।
- तद् का तात्पर्य सच्चाई से है। सच्चाई (न्याय, धर्म, सत्य) के रूप में कल्पनाशीलता होना ही तदाकार है।
- अध्ययन विधि में साक्षात्कार, प्रतीति, अवधारणा, बोध।
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तदावलोकन |
tadavlokan |
82 |
- द़ृष्टापद प्रतिष्ठा संपन्न व्यक्ति, जीवन का सान्निध्य, दर्शन सहित समझदारी के लिए ध्यान।
- इष्ट का दर्शन मिलते रहना ही तदावलोकन है।
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तद्रूप |
tadrup |
82 |
- अनुभव प्रमाण में ओत-प्रोत जीवन।
- इष्ट के रूप, गुण, स्वभाव, धर्म से पूर्णतया प्रभावित हो जाना ही तद्रूपता है। जागृति ही इष्ट है।
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