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जिम्मेदार jimmedar 77
  • दायित्व और कर्त्तव्यों के प्रति निष्ठान्वित रहना और निर्वाह करते रहना।
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जिम्मेदारी jimmedari 77
  • कर्त्तव्य, दायित्वों की स्वीकृति।
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जिज्ञासा jigyasa 77
  • मनुष्य में स्वयं में और अस्तित्व में निर्भ्रम होने की अथवा यथार्थता को जानने मानने की तीव्र इच्छा और उसका प्रकाशन।
  • जीवन सुखी होने के लिए शोध प्रवृत्ति।
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जिज्ञासु jigyasu 77
  • अज्ञात को ज्ञात, अप्राप्त को प्राप्त करना, सच्चाई को जानने मानने पहचानने की कल्पना व इच्छा का प्रकटन।
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जीना jeena 77
  • जीवों के लिए संवेदनाओं को व्यक्त करना ही जीना है।
  • मानव के लिए अनुभव मूलक मानसिकता सहित कायिक, वाचिक, मानसिक रूप में जीना है।
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जीने की कला (मनुष्य में) jeene ki kala (manushya me) 77
  • अनुभव मूलक संस्कारों के अनुरूप अभिव्यक्ति, संप्रेषणा और आचरण, व्यवहार, व्यवसाय प्रचार व प्रदर्शन क्रिया।
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जीने का अर्थ jeene ka arth 77
  • जीवन जागृति पर्यन्त यात्रा है, जागृति की निरंतरता ही जीने का अर्थ है।
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जीने दो जियो jeene do jiyo 77
  • सहअस्तित्व पूर्ण कार्यक्रम का अनुसरण अर्थात् मनुष्य स्वयं समाधान, समृद्धि, अभय, सहअस्तित्व पूर्वक जीने की कला की अभिव्यक्ति, संप्रेषणा, प्रकाशन क्रिया।
  • दया पूर्ण कार्य व्यवहार।
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जीव jeev 77
  • जीने की आशावादी, मनुष्येत्तर जीव प्रकृति।
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जीव कोटि jeev koti 77
  • जीने का आशा सहित जीवनी क्रम में जीना।
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जीव संतुलन jeev santulan 77
  • वंशानुषंगीय विधि से उपयोगिता, पूरकता का प्रमाण।
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जीव चक्र jeev chakra 77
  • जीव परम्परा, प्रजनन विधि से आहार आदि चार विषयों में प्रवर्तित रहना, वंश ।
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जीवन jeevan 77
  • गठनपूर्ण परमाणु, चैतन्य इकाई = मन, वृत्ति, चित्त, बुद्धि, आत्मा रूपी अक्षय बल + आशा, विचार, इच्छा, संकल्प और अनुभव रूपी अक्षय शक्तियों का अविभाज्य वर्तमान क्रिया।
  • संचेतना, जानना, मानना, पहचानना, निर्वाह करने का क्रियाकलाप।
  • जीने की आशा सहित अस्तित्व की निरंतरता, चैतन्यपद।
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जीवन का कार्यक्रम jeevan ka karyakram 78
  • मानवीयता पूर्ण पद्धति से नियम त्रय पूर्वक, वादत्रय सहित, नीति त्रय समेत किए गए कार्यकलाप।
  • नियम, न्याय, समाधान और प्रामाणिकता पूर्ण अभिव्यक्ति संप्रेषणा और प्रकाशन।
  • जागृति क्रम जागृति यह मानव संसार में स्पष्ट है।
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जीवनगत jeevanagat 78
  • जीवन में समायी हुई अनुभव प्रमाण।
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जीवन पद jeevan pad 78
  • चैतन्य पद।
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जीवन बल jeevan bal 78
  • अनुभव-बोध, अनुभव-चिंतन, अनुभव सहज तुलन, अनुभव मूलक आस्वादन क्रिया।
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जीवन मर्यादा (नियंत्रण) jeevan maryada (niyantran) 78
  • अभ्युदय अर्थात् सर्वतोमुखी समाधान का प्रकाशन क्रिया।
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जीवन तृप्ति jeevan tripti 78
  • जागृति; सुख शांति संतोष आनंद सहज प्रमाण; समाधान समृद्धि अभय सह अस्तित्व सहज प्रमाण; अखण्ड समाज सार्वभौम व्यवस्था में भागीदारी।
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जीवन संतुलन jeevan santulan 78
  • अनुभवमूलक अभिव्यक्ति, संप्रेषणा प्रकाशन।
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