व्यवहारवादी समाजशास्त्र

by A Nagraj

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सामान्य आकांक्षा, 2. महत्वाकांक्षा से संबंधित वस्तु और उपकरण। सामान्याकांक्षा में वांछित वस्तुएँ आहार, आवास, अलंकार कार्यों में उपयोगी होना पाया जाता है। शरीर पुष्टि और संरक्षण के रूप में आहार को, संरक्षण के अर्थ में आवास और अलंकार को उपयोगी होना पाया जाता है। महत्वाकांक्षा संबंधी वस्तुएँ ज्ञानेन्द्रियों और कर्मेन्द्रियों के गति सीमा से अधिक गति के लिये दूरश्रवण, दूरदर्शन, दूरगमन का प्रयोजन देखने को मिलता है। इसे पहले भी स्पष्ट किया जा चुका है। उल्लेखनीय तथ्य यही है कि सामान्य आकांक्षा संबंधी वस्तुओं से ही समृद्धि का प्रकाशन हो पाता है। महत्वाकांक्षा संबंधी वस्तुएँ समय-समय पर दूरसंचार समाज गति में पूरक रूप में उपयोगी होते हुए समृद्धि का आधार नहीं बन पाता है। गति और शीघ्रता के आधार पर इसका मूल्यांकन हो पाता है। अतएव इन यंत्रों के न्यूनतम उपयोग से ही अथवा आवश्यकता विधि से इसका उपयोग करना ही इसके वैभव का प्रमाण है। इन वस्तुओं का राक्षसी, पाशवीय विधि से कितना भी उपयोग करे वह एक व्यसन के रूप में दिखाई पड़ेगा न कि समृद्धि के रूप में। इसको इस धरती के सम्पूर्ण मानव देख चुके हैं कोई बचा होगा वह देख भी सकता है। इससे यह स्पष्ट हो गया कि सामान्य आकांक्षा संबंधी वस्तु-उपकरण समृद्धि का द्योतक है और इसकी सम्भावना भी समीचीन है।

महत्वाकांक्षा संबंधी वस्तुओं का अधिकता होने के उपरान्त भी समृद्धि का अर्थ पूरा नहीं होता है। इनका अम्बार लगाने के क्रम में ही धरती का पेट फाड़ने की गति त्वरित हुई है।

सामान्य आकांक्षा संबंधी वस्तुओं को पाने के लिये धरती को तंग करने की आवश्यकता उत्पन्न ही नहीं होता क्योंकि