व्यवहारवादी समाजशास्त्र

by A Nagraj

Back to Books
Page 60

विकल्पों का प्रधान बिन्दुओं को,

  • चेतना विकास मूल्य शिक्षा-संस्कार तकनीकी शिक्षण कार्य में विकल्प,
  • ज्ञान, दर्शन, विवेक, विज्ञान विधि विचारों में विकल्प,
  • न्याय सुरक्षा विधान में विकल्प,
  • स्वास्थ्य संयम कार्य में विकल्प,
  • विचार व आचरण विधि में विकल्प,
  • व्यवहार कार्य विधि में विकल्प,
  • उत्पादन विधि में विकल्प,
  • विनिमय विधि में विकल्प,
  • उपयोग विधि में विकल्प।

इन विकल्पों को हम भले प्रकार से पहचान चुके हैं। इस विश्वास से कि हम जिन विकल्पों को अखण्ड समाज सार्वभौम व्यवस्था के सूत्र के रूप में समझ चुके हैं वह सर्वमानव में स्वीकृत है ही। जैसे प्रसंग के रूप में -

  • उत्पादन कार्य में स्वायत्त होने के उद्देश्य सहित प्रत्येक परिवार उत्पादन कार्य में भागीदारी का निर्वाह करना। समझदारी से समाधान, श्रम से समृद्धि।
  • उत्पादन कार्य में नियोजित होने वाले श्रम मूल्य का पहचान उसका मूल्यांकनपूर्वक श्रम विनिमय प्रणाली को अपनाना। यह लाभ हानि मुक्त होना स्वीकार्य है।

आवश्यकता से अधिक उत्पादन, उत्पादन से उपयोग, उपयोग से सदुपयोग, सदुपयोग से प्रयोजनशील विधियों को स्वीकारा गया है। उपयोग विधि से परिवार न्याय और व्यवस्था, सदुपयोग विधि से समाज न्याय और व्यवस्था, प्रयोजनीयता विधि से प्रामाणिकता और जागृति मानव