भौतिकवाद

by A Nagraj

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मध्यस्थ सत्ता, मध्यस्थ क्रिया और मध्यस्थ जीवन सहज महिमा ही है, जो स्वयं मध्यस्थ दर्शन का स्वरुप है। इससे ही अभ्युदय (सर्वतोमुखी विकास) अध्ययन सुलभ, व्यवहार सुलभ एवं अनुभव सुलभ होने का संपूर्ण तथ्य आपके सम्मुख प्रस्तुत है।

भूमि: स्वर्गताम् यातु, मनुष्यो यातु देवताम् ।

धर्मो सफलताम् यातु, नित्यं यातु शुभोदयम् ॥