भौतिकवाद

by A Nagraj

Back to Books
Page 33

विकास का मूल स्फूर्ति अथवा स्फुरण सत्ता में संपृक्त प्रकृति में निरन्तर निहित है। “स्व” की अभिव्यक्ति में स्वयं स्फूर्त होना ही “त्व” और वातावरण और नैसर्गिकतावश स्फुरण पूर्वक उपयोगिता-पूरकता स्पष्ट होना एक व्यवहारिक प्रक्रिया है। इसको जड़-चैतन्यात्मक प्रकृति में देखा जाता है। इसका तात्पर्य यह हुआ कि स्वयं से जो शक्तियों को स्वेच्छापूर्वक अथवा स्वप्रेरणा पूर्वक व्यक्त करे वह स्फूर्ति के रूप में गण्य होता है। इसका साक्ष्य है कि प्रत्येक इकाई स्वयं क्रियाशील रहती है।

स्फुरण को इस प्रकार देखा जाता है कि एक बीज को जब नैसर्गिकता में स्थित पाते है तब उसमें अंकुरण होने की क्रिया आरम्भ हो जाती है। बीज होते हुए भी नैसर्गिकता के बिना स्फुरण उसमें नहीं हो पाता। इस प्रकार स्पष्ट होता है कि स्फुरण नैसर्गिकता के योग से स्वयं में होने वाली क्रिया और स्फूर्ति स्वयं के वैभव को स्वयं प्रेरित पद्घति से अभिव्यक्त करने की क्रिया है। इसका कारण सत्ता में संपृक्त प्रकृति का सत्ता में अनुभव पर्यन्त विकसित जागृत होना ही है। विकास अस्तित्व में निरन्तर प्रकाशमान है। यह चार अवस्थाओं में है प्रथम पदार्थावस्था, द्वितीय प्राणावस्था, तृतीय जीवावस्था, चतुर्थ ज्ञानावस्था।

प्राणावस्था और पदार्थावस्था में विविधताएँ रचना और रासायनिक योग-संयोगों के आधार पर है। ऐसी रासायनिक और भौतिक रचना और स्थिति के मूल में परमाणु में विविधता है। परमाणु की विविधता उसमें समाहित अंशों की संख्या पर आधारित है। इन तथ्यों से यह स्पष्ट हुआ कि रचना और रचनाओं की स्थिति के मूल में रासायनिक एवं भौतिक अथवा तात्विक योग है। इससे यह निष्कर्ष निकलता है कि सत्ता में संपृक्त ऊर्जामय प्रकृति अपने मूल रूप परमाणु की स्थिति में अनेक तत्व संपन्न है। फलस्वरुप अणु और अणुरचित स्वरुपों में अपने आप में वैविध्यता की व्यवस्था है।

प्राण कोशिकाओं से जीव व मानव शरीर की रचनाएँ हैं। रचनाएँ विकास जैसी लगती है पर विकास नहीं है, क्योंकि जो जिससे बना रहता है वह उससे अधिक नहीं होता। जीवावस्था और ज्ञानावस्था ये जड़-चैतन्य के संयुक्त प्रकाशन है। पदार्थ और प्राणावस्था की रचनाएँ जड़-प्रकृति है। जीवावस्था और ज्ञानावस्था की प्रकृति जड़-चैतन्य का संयुक्त प्रकृति है। जीव और मानव शरीर की रचना भी वंशानुषंगीयता पूर्वक संपन्न होती है। इसीलिए शरीर जड़-प्रकृति के रूप में स्पष्ट है।