भौतिकवाद
by A Nagraj
Page 209
परमाणु में गठन एक प्रकृति सहज प्रक्रिया है। ऐसे गठन में पूर्णता का होना उसी परमाणु में निश्चित क्रिया का परिणाम घटना है। इसलिए मनुष्य द्वारा जीवन को घटाना (अर्थात जीवन उत्पन्न करना) संभव नहीं है और आवश्यक भी नहीं है। इसी प्रकार मनुष्य द्वारा प्राण कोषाओं को घटाना (घटित कराना) संभव नहीं है और आवश्यक भी नहीं है। वर्तमान में पाए जाने वाले शरीर और जीवन के क्रियाकलाप के साथ-साथ मनुष्य का जागृत होना ही एकमात्र लक्ष्य बनता है। कृत्रिम कोषा और कृत्रिम जीवन को बनाने का कोई लक्ष्य नहीं बनता है। इसलिए आवश्यकता भी नहीं बन पाता है और इसीलिए अवसर भी सिद्ध नहीं होता।