मानवीय संविधान
by A Nagraj
व्याख्या के रूप में कार्य-व्यवहार में प्रमाणित होता है यही स्वत्व, स्वतन्त्रता, अधिकार है।
स्वत्व = समझदारी सम्पन्नता और अभिव्यक्ति सम्प्रेषणा।
स्वतंत्रता = स्वयं स्फूर्त विधि से समझदारी, ईमानदारी, जिम्मेदारी, भागीदारी में, से, के लिये प्रमाण परंपरा।
हर जागृत मानव समझदारी सहित मानवत्व रूपी अधिकार को प्रमाणित करने में स्वतंत्र है।
अधिकार = समझदारी सहज समाधान, समृद्धि, अभय, सहअस्तित्व को वर्तमान में प्रमाणित करना, कराना, करने के लिए सहमत होना।
स्वराज्य = मानवत्व सहित व्यवस्था, समग्र व्यवस्था में भागीदारी परंपरा।
स्वराज्य अर्थात् मानवत्व सहित दस सोपान में सार्वभौम व्यवस्था के रूप में समाधान, समृद्धि , अभय, सहअस्तित्व सहज प्रमाण परंपरा है।
स्वतंत्रता = स्वयं स्फूर्त विधि से सर्वतोमुखी समाधान में, से, के लिये प्रमाण वर्तमान।
5.8 (10) जीवन जागृति
- समझदारी, ईमानदारी सहज प्रमाण ही भागीदारी रूप में।
- सर्वतोमुखी समाधान सहित मानव लक्ष्य, जीवन लक्ष्य को वर्तमान में प्रमाणित करना, कराना, करने के लिए सहमत होना।
जागृत मानव सहज आचार संहिता रूपी सूत्र व्याख्या
प्रारूप -
मानवीय आचरण-संपन्नता सहित सम्बन्धो का निर्वाह समेत अखण्ड राष्ट्र समाज व्यवस्था में भागीदारी करना।
सूत्र-फलन में -
- हर समझदार परिवार में समाधान-समृद्धि प्रमाणित होना।
अखण्ड राष्ट्र समाज व्यवस्था में समाधान, समृद्धि, अभय (वर्तमान में विश्वास) सहअस्तित्व प्रमाणित होना।