मानवीय संविधान
by A Nagraj
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- समझदारी समाधान, समृद्धि सम्पन्नता सहित उपकार कार्यों को करना मानवत्व है। ज्ञान, विवेक, विज्ञान रूप में समझा हुआ को समझाना, सीखा हुआ को सिखाना, किया हुआ को कराना उपकार है।
- सदा-सदा धीरता, वीरता, उदारता, दया, कृपा, करुणा पूर्ण मानसिकता और परंपरा में कायिक, वाचिक, मानसिक, कृत, कारित, अनुमोदित क्रियाओं में प्रमाणित होना रहना मानवत्व है।
- सुख, शान्ति, संतोष, आनंद सहज निधि को समाधान, समृद्धि, अभय, सहअस्तित्व वैभव के रूप में प्रमाणित होना रहना मानवत्व है।
- कायिक, वाचिक, मानसिक व कृत, कारित, अनुमोदित क्रियाकलापों में समाधान सहज जागृति का प्रमाण मानवत्व है।
- परिवार संबंधों को पहचानना, दायित्व व कर्त्तव्यों का निर्वाह करना मानवत्व है।
- समझदारी-ईमानदारी ज्ञान रूप में विज्ञान-विवेक सहज रूप में, ईमानदारी-जिम्मेदारी चारों अवस्थाओं में संबंधों में पहचान के रूप में, जिम्मेदारी-भागीदारी नियति सहज नियंत्रण, संतुलन, न्याय, धर्म, सत्य सहज विधिपूर्वक समाधान, समृद्धि, अभय, सहअस्तित्व में, से, के लिए प्रमाणित रहना मानवत्व है।
- सहअस्तित्व मानव परंपरा में, से, के लिए मानवेत्तर प्रकृति के साथ पूरकता, उपयोगिता, ऋतु संतुलन सहज प्रभावीकरण मानव और परस्पर मानव में न्याय व समाधान सहज विधि से समृद्धि वर्तमान में विश्वास परंपरा सहज रूप में प्रमाणित होना मानवत्व है।
- हर परिवार समाधान समृद्धिपूर्वक प्रमाणित रहना मानवत्व है।
- परिवार सहज हर संबंधों को जिम्मेदारीपूर्वक निर्वाह करना मानवत्व है।
- सार्वभौमता अखण्डता, अक्षुण्णता और प्रबुद्धता, संप्रभुता, प्रभुसत्ता सहज दृष्टि से देखना, समझना प्रमाणित रहना मानवत्व है।
- सर्वतोमुखी समाधान सहित उपकार प्रवृत्ति ही सहमतियाँ हैं। यही मानवत्व है।
सार्वभौमता को धरती के सर्व मानव ने स्वीकारा है अथवा स्वीकारने योग्य है। यह मानवत्व सहज सफलता में से के लिए आशावादिता है।