मानवीय संविधान

by A Nagraj

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  • हर मानव का ज्ञानावस्था में होना ही समझदारी में, से, के लिए प्रवृत्ति व अध्ययन व समझ प्रमाण है। यही परंपरा है।
  • सर्वमानव सहअस्तित्व में ही समझदार होना नित्य समीचीन है।
  • सर्वमानव अपने वैभव को समझदारी, ईमानदारी, जिम्मेदारी, भागीदारी सहज विधि से प्रमाण पहचान होना ही मानवीय परंपरा इतिहास वर्तमान है।
  • मानव संस्कृति प्रमाण घोषणा

संस्कृति

तात्विकता :- पूर्णता (क्रियापूर्णता, आचरण पूर्णता) के अर्थ में स्वीकृत समझ सहित प्रकाशन।

बौद्धिकता :- मूल्यों के अर्थ में प्रकाशन।

व्यवहारिकता :- मानवीयता के अर्थ में कला साहित्य का प्रकाशन, जागृति व सतर्कता सहित वर्तमान- क्रियापूर्णता समाधान के अर्थ में, आचरण पूर्णता जागृतिपूर्णता के अर्थ में, सजगता अनुभव संपन्न प्रमाण के रूप में स्पष्ट है।

  • जीना ही दर्शन प्रकाशन कला है।
  • श्रेष्ठ, श्रेष्ठतर, श्रेष्ठतम विधि से जीने की कला का प्रकाशन ही संस्कृति है। यह संज्ञानीयता में नियंत्रित संवेदना पूर्वक मानवीय संस्कृति है। समाधान सहज है।
  • संबंध उत्सव घोषणा

प्रत्येक परिवार पूरा ग्राम परिवार के साथ तालमेल बनाये रखने का अधिकार।

हर परिवार उत्सव संबंध

हर तरह कला संबंध

संस्कृति - संबंध

शिक्षा लोक शिक्षा - संबंध

विनिमय - संबंध

उत्पादन - संबंध

वस्तुओं का उपयोग - संबंध