मानवीय संविधान

by A Nagraj

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कालांतर में उपर्युक्त व्यवस्था के अनुसार प्रत्येक ग्राम सभा के निर्वाचित सदस्य अपने दस सदस्यों में से एक सदस्य को, “ग्राम समूह सभा” में, ग्राम समूह सभा के दस सदस्य में से एक को “क्षेत्र सभा के लिए” क्षेत्र सभा के दस सदस्यों में से एक सदस्य “मंडल सभा के लिए”, मंडल सभा के 10 सदस्यों में से एक सदस्य को “मंडल समूह सभा के लिए”, मंडल समूह सभा के दस सदस्यों में से एक सदस्य को “मुख्य राज्यसभा के लिए”, मुख्य राज्य सभा के दस सदस्यों में से एक सदस्य को “प्रधान राज्य सभा के लिए” व प्रधान राज्य सभा के दस सदस्यों में से एक सदस्य को “विश्व राज्य सभा” के लिए निर्वाचित करेंगे। इस प्रकार प्रत्येक स्तर में प्रत्येक व्यक्ति सिर्फ 10 व्यक्तियों का मूल्यांकन कर अगली सभा के लिए सदस्य निर्वाचित करेंगे।

निर्वाचित सदस्यों की अर्हता :-

परिवार से लेकर ग्राम-सभा तक प्रत्येक निर्वाचित सदस्य की अर्हता निम्न होगी :-

  • उसकी आयु कम से कम 18 वर्ष होगी।
  • वह ज्ञान, विवेक, विज्ञान में पारंगत व समाधान, समृद्धि पूर्वक जीता हुआ समझदार परिवार में, से, के लिए होगा। वह जीवन ज्ञान से परिपूर्ण होगा अर्थात् स्वयं में विश्वास, श्रेष्ठता का सम्मान, प्रतिभा एवं व्यक्तित्व में संतुलन सम्पन्न और व्यवसाय में स्वावलंबी व व्यवहार में सामाजिक होगा।
  • मानवीय आचरण संबंधों का पहचान, मूल्यों का निर्वाह, मूल्यांकन, उभय तृप्ति, स्वधन, स्वनारी/स्व पुरुष, दया पूर्ण कार्य-व्यवहार विन्यास तन-मन-धन रुपी अर्थ का सदुपयोग सुरक्षा के रूप में वर्तमान में प्रकाशित प्रमाणित होगा।

कार्यक्षेत्र :-

  • ग्राम सभा का कार्य कम से कम 100 परिवारों के साथ होगा। उसका भू-क्षेत्र ग्राम सीमा तक होगा। ग्राम सीमावर्ती क्षेत्र की समस्त भूमि, वन, वन संपदा, खनिज, जल स्त्रोत व अन्य संपदाएँ ग्राम सभा के अधिकार क्षेत्र में होंगी।

ग्राम सभा सामान्यत: ग्राम के सभी परिवारों का प्रतिनिधित्व करेंगी। क्योंकि ग्राम प्राकृतिक ऐश्वर्य पर श्रम नियोजन सहज फलन में ही हर परिवार अपने में आवश्यकता से अधिक उत्पादन करना आवश्यक रहेगा।