स्वयं स्फूर्त प्रवर्तित रहना, क्रिया के रूप में प्रवृत्ति निरंतरता, स्थानांतरण।
सापेक्ष शक्तियाँ। सम, विषम, मध्यस्थ गतियाँ।
इकाई के गंतव्य क्रम में नित्य वर्तमान :-
- गठन पूर्णता के अर्थ में, परमाणु में अंशों की संख्या में परिवर्तन के साथ मात्रात्मक परिवर्तन, फलस्वरूप गुणात्मक परिवर्तन । परिवर्तन का अंतिम परिणाम अथवा संक्रमण गठन पूर्णता । यही परिणाम का अमरत्व है।
- क्रिया पूर्णता के अर्थ में गंतव्य क्रम में गुणात्मक परिवर्तन अर्थात् अमानवीयता से मानवीयता और मानवीयता से सतर्कता जो परिष्कृत संचेतना अर्थात् अतिमानवीयता का प्रकाशन और प्रतिष्ठा।
- आचरण पूर्णता के गंतव्य क्रम में श्रेष्ठ और श्रेष्ठतम गुणात्मक परिवर्तन, परिमार्जन जिसका प्रमाण सजगता जो परिष्कृति पूर्ण संचेतना का प्रकाशन और प्रतिष्ठा है ।