किरण-विकिरण (kiran-vikiran)
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- Paribhashas:
- इस धरती पर किरण ग्राही एवं विकिरण स्रावी दोनों होते हैं जिसमें से विकिरण स्रावी धातुएं होती है। इसके मूल में अजीर्ण परमाणु का ही स्रोत है। ऐसी विकिरण तरंग हर धरती के वातावरण में फैला ही रहता है। इसी का नाम ब्रम्हाण्डीय किरण है। ये विकिरणीय वैभव विकासक्रम विकास के लिए योगदायी है।