ऊर्जा स्रोत (urja srot)
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- Paribhashas:
- मूलत: ऊर्जा साम्य रूप में प्राप्त व्यापक वस्तु होते हुए प्रत्येक जड़ चैतन्य इकाई में क्रियाशीलता प्रमाणित। क्रियाशीलता ही श्रम गति परिणाम कार्य व्यवहार के रूप में स्पष्ट है। इनमें से गति सहज विधि से उसका प्रभाव क्षेत्र होता है यह मानव को ज्ञात है। इस प्रभाव क्षेत्र को भी अथवा प्रभाव प्रवाह को भी कार्य ऊर्जा और ऊर्जास्रोत माना व जाना जाता है।