आवश्यकता (aavashyakata)
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- Paribhashas:
- हर इकाई का अपने अस्तित्व को बनाए रखना एक आवश्यकता है और हर इकाई अपने त्व सहित व्यवस्था और समग्र व्यवस्था में भागीदारी करना एक आवश्यकता। मानव परम्परा में आर्थिक सामाजिक परिवार मूलक स्वराज्य व्यवस्था तंत्र और प्राकृतिक संतुलन सहज आवश्यकता।
- जीवन जागृति रूपी लक्ष्य के प्रति संभावना सहित आशवस्त होना और उसके लिए तीव्र इच्छा सहित निष्ठा का होना।
- सामान्य व महत्वाकांक्षी वस्तुओं का उपयोगिता, सदुपयोगिता के आधार पर आवश्यकता से अधिक उत्पादन।