क्रिया व कार्य के अनन्तर और क्रिया, कर्म के लिए अर्हताओं का एक सा बने रहना। सहअस्तित्व रूपी अस्तित्व समग्र ही सत्ता में सम्पृक्त जड़-चैतन्य प्रकृति है। चैतन्य प्रकृति अक्षय बल-शक्ति सम्पन्न है।
पूर्ण व पूर्णता अक्षय है। अन्तर्नियोजित बल-शक्ति का प्रक्रियाबद्ध होकर फल परिणाम अवधि में जागृति सहज प्रमाण है। गठन पूर्ण परमाणु में अपरिणामिता है। अक्षय बल शक्ति की स्थिति है।
शून्याकर्षण में पृथ्वी सहज स्थिति गति अक्षय है।
विकास और विकास क्रम में आवर्तनशील नियम अक्षय है।
संबंधों के निर्वाह में न्यायपूर्ण व्यवहार अक्षय है।
जागृति में आचरणपूर्णता सजगता अक्षय है।