अस्तित्व सर्वस्व (astitva sarvasv)
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- Paribhashas:
- होने के रूप में, व्यापक वस्तु में समाहित जड़-चैतन्य प्रकृति, व्यापक वस्तु रूपी सत्ता में संपृक्त जड़-चैतन्य प्रकृति, सत्ता में भीगा डूबा घिरा हुआ जड़-चैतन्य प्रकृति अस्तित्व ही सह अस्तित्व, सहअस्तित्व ही चार अवस्था पदों में गण्य है। सह अस्तित्व में ही मानव मनाकार को साकार करने वाला मन: स्वस्थता सहज प्रमाण ही जागृति है। अस्तित्व स्थिर व विकास एवं जागृति निश्चित है।