सप्त धातुओं से रचित समृद्ध मेधस संपन्न मानव शरीर, जीव शरीर इसको जीवन संचालित करता है, जीवंत बना कर रखता है, प्राणावस्था की रचनाएं प्राण कोशाओं से रचित बीजानुषंगी क्रम में स्पष्ट, स्वेदज संसार का शरीर रस से बनी है, रस मांस से बनी हुई है, रस, मांस, मज्जा से बनी हुई है, रस, मांस मज्जा, हड्डी से युक्त बनी हुई है, रस मांस मज्जा हड्डी स्नायु के साथ बनी हुई है, समृद्ध मेधस न होने के आधार पर ये स्वेदज कहलाते हैं ये सभी अवस्था के शरीर जलचर भूचर नभचर होते हैं। समृद्ध मेधस सम्पन्न जीव शरीर को जीवन संचालित करता है, तभी मानव के संकेतों को ग्रहण करता है।