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Paribhashas
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व्यापक वस्तु जड़-चैतन्य प्रकृति में पारगामी व पारदर्शी यही अखण्ड है। जिसका भाग-विभाग, खंड-विखंड, छेद-विच्छेद, संगठन-विघटन न हो- यही अखण्ड है। सह-अस्तित्व रूपी अस्तित्व में अखण्डता अविभाज्यता स्पष्ट है।
तीनों काल में सर्वत्र विद्यमान, भाग-विभाग रहित सहज नित्य वर्तमान वैभव (यही व्यापक है, अखण्ड है)।
मानवीय संस्कृति, सभ्यता, विधि, व्यवस्था व आचरण में सामरस्यता-अखण्ड समाज और चारों अवस्था यथा-पदार्थ-प्राण-जीव और ज्ञानावस्था संपन्न धरती स्वयं अखण्ड। व्यापक अखण्ड है व्यापक वस्तु में हर धरती अखण्ड है। सहअस्तित्व में चार अवस्थाएं इस धरती में प्रकट है।
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