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स्वार्थ (svarth)
Page No:
216
Paribhashas:
मानवीय चेतना विधि से स्वयं का अर्थ (जागृति)।
अर्थ की विशालता को संकीर्णता अर्थात् व्यक्तिवाद व समुदायवाद में सीमित करना।
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