अवधारणा (avadharana)
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- Paribhashas:
- वस्तु स्थिति सत्य, वस्तुगत सत्य, स्थिति सत्य-सत्य बोध सहज यथावत् जानने मानने की बोध क्रिया।
- बुद्धि में होने वाले अध्ययन विधि से बोध ही अवधारणा है जो मन, वृत्ति, चित्त में भास, आभास और साक्षात्कार से अधिक स्थिर होते हैं।
- न्यायपूर्ण व्यवहार, धर्मपूर्ण विचार व सत्य सहज स्वीकृति (बोध) ही अवधारणाएं हैं जो अभ्युदय सर्वतोमुखी समाधान है।
- बुद्धि सहज प्रतीति को जान लिया, मान लिया, पहचान चुके हैं - यही अवधारणा है।
- अवधारणा ही अनुमान की पराकाष्ठा एवं अनुभव के लिए उन्मुखता है। अवधारणा के अनंतर ही अनुभव होता है।
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