अस्तित्व में सम, विषम, मध्यस्थ क्रिया, बल, शक्ति, रचना व विरचना का विकास क्रम में उपयोगिता, पूरकता, उदात्तीकरण के रुप में समाधान सूत्र और व्याख्या।
श्रम नियोजन, श्रम-विनिमय प्रणाली रूपी उत्पादन- विनिमय संबंधी समाधान सूत्र व व्याख्या।
मानवीयता पूर्ण आचरण व्यवहार सीमा में (प्रत्येक वस्तु) आवश्यकताएँ संयत होने के आधार पर अथवा सत्य होने के आधार पर उपलब्धियों की संभावना, विपुल होने के रुप में आवश्यकता का समाधान प्रत्येक मानव जीवन में अक्षय शक्ति, अक्षय बल जीवन सहज अभिव्यक्ति होने के आधार पर आवश्यकता से अधिक उत्पादन कम उपभोग के रुप में भौतिक समृद्धि का समाधान सूत्र और व्याख्या।
प्राकृतिक ऐश्वर्य का मूल्य अमूल्य होने के आधार पर वनस्पति, वन-खनिज (धरती) हवा, पानी पर एकाधिकार के भ्रम को दूर करने के रुप में, सह-अस्तित्व में समाधान सूत्र और व्याख्या।
मानव में श्रम मूल्य की मूल पूंजी के आधार पर, श्रम मूल्य का मूल्यांकन सहित, वस्तु-मूल्य का निर्धारण समेत, लाभ-हानि मुक्त विनिमय प्रणाली, पद्धति, नीति में समाधान सूत्र और व्याख्या।
सम्पूर्ण रचना, विरचनाओं में पूरकता-उदात्तीकरण के आधार पर आवर्तनशीलता का समाधान सूत्र और व्याख्या।
वस्तु की ‘संयत आवश्यकता नियम’ के आधार पर वस्तु के विपुल होने में समाधान।
तन, मन रुपी धन का सदुपयोगिता के आधार पर ही सुरक्षा होने की यथार्थता पर अभय रूपी समाधान सूत्र और व्याख्या।
अस्तित्व ही सहअस्तित्व के रुप में समाधान। विकास क्रम में प्रत्येक इकाई अपने त्व सहित व्यवस्था के रुप में समाधान। विकास, जीवन के रुप में। समाधान विकसित चेतना के रूप में विकास, जीवन में संक्रमण पूर्वक समाधान। जीवन में गुणात्मक विकास-सतर्कता, सजगता के रुप में समाधान। रासायनिक-भौतिक रचना व विरचनाएँ पूरकता, उदात्तीकरण के रुप में समाधान सूत्र और व्याख्या।