समाधान पूर्ण संचेतना पूर्वक मनुष्य के समस्त क्रियाकलाप।
न्याय द़ृष्टि सम्पन्न, दयापूर्वक समस्त कार्य-व्यवहार मानवीय परस्परता में पूरकता व उदात्त पूर्वक क्रियायें, साम्य मूल्यों में समानता व विश्वास सहज निरंतरता से अनुभूति, मानवीय कार्य, साधनों के उत्पादन-विनिमय व सुरक्षा-सदुपयोग की सुनिश्चितता व निरंतरता सहज कार्यकलाप, पारंगत व प्रमाणित होने की प्रक्रिया।
मानव अपने जागृति को प्रमाणित करना ही अभ्यास का तात्पर्य है। अभ्यास अपने सार्थक स्वरुप में सर्वतोमुखी समाधान के लिए किया गया अनुभव, विचार, व्यवहार समुच्चय है।
अनुभव के पहले समझने के लिए ध्यान देना, अनुभव के पश्चात् प्रमाणित करने के लिए चिंतनाभ्यास, व्यवहाराभ्यास, कर्माभ्यास।