जो तीनों काल में एक सा भासमान, विद्यमान एवं अनुभव गम्य है। शून्य, व्यापक वस्तु, साम्य सत्ता |
मानव परंपरा में स्थिति सत्य, वस्तु स्थिति सत्य, वस्तुगत सत्य नित्य वर्तमान होना रहना जागृति है।
अस्तित्व, विकास, जीवन, जीवन-जागृति, रासायनिक-भौतिक रचना-विरचना के प्रति प्रामाणिकता का नित्य वर्तमान।
तीनों कालों में एक सा विद्यमान, भासमान और सुखप्रद व्यापक वस्तु तथा स्थिति में क्रिया और श्रम, गति, परिणाम परंपरा में निर्भ्रमता अथवा जागृति पूर्ण परंपरा का वर्तमान।