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वैभव (vaibhav)
Page No:
177
Paribhashas:
जागृति पूर्ण यथास्थिति में वर्तमान रहना।
धर्म, स्वभाव, गुण एवं रूप का प्रकाशन। निश्चित आचरण होना ही वैभव है।
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