राष्ट्र (rashtra)
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- Paribhashas:
- धरती पर प्रकट चारों अवस्थाएं वैभव वर्तमान परंपरा व सर्वशुभ जागृत मानव परंपरा “राजयतेति, वर्तयतेति, ईक्ष्यतेति, नित्यतेति सा राष्ट्र”। अखण्ड राष्ट्र के रूप में यह धरती है। वर्तमान में वैभववादी, वैभवकारी द़ृष्टि।
- मानवीय आचार संहिता रुपी संविधान का प्रभाव क्षेत्र व सीमा।
- मानव, मानव संस्कृति एवं सभ्यता की निरंतरता सहित, उसके संरक्षण, संवर्धन योग्य विधि व्यवस्था की अक्षुण्णता ही राष्ट्र हैं।