मानव में कायिक, वाचिक, मानसिक, कृत, कारित, अनुमोदित, जागृत, स्वप्न, सुषुप्ति में किया गया कार्य व्यवहार व्यवस्था सहज भागीदारी का अध्ययन।
मानवीयता के लक्ष्य में अर्थात् मानवीयतापूर्वक व्यवस्था और समग्र व्यवस्था में भागीदारी के रूप में मनुष्य द्वारा किया गया कायिक, वाचिक, मानसिक क्रियाकलाप ही स्वयं स्वतंत्रता, स्वराज्य कर्म, आचरण कर्म, व्यवहार कर्म, उत्पादन कर्म, विनिमय कर्म, स्वास्थ्य संयम कर्म, न्याय सुरक्षा कर्म और उसके प्रचार, प्रकाशन, प्रदर्शन, साहित्य, कला की अभिव्यक्ति संप्रेषणाएँ कर्म हैं ।
जागृति पूर्वक कायिक, वाचिक, मानसिक, कृत, कारित, अनुमोदित विधि से सुखी होने की विधि।