पूर्वानुक्रम को स्वीकार करना। मन वृत्ति का, वृत्ति चित्त का, चित्त बुद्धि का, बुद्धि आत्मा का, आत्मा अस्तित्व सहज संकेतों को स्वीकार करना।
अध्ययन विधि में न्याय, धर्म, सत्य रूपी वांछित वस्तु देश एवं तत्व में चित्त-वृत्तियों का संयत होना पाया जाता है। संयत होने पर पूर्णाधिकार के अनंतर श्रवण के सारभूत भाग अथवा वांछित भाग में चित्त-वृत्तियों का केन्द्रिभूत होना मनन है। मनन का तात्पर्य निष्ठा एवं ध्यान से है। तीव्र इच्छा।
विवेकात्मक अध्ययन - जीवन का अमरत्व एवं शरीर का नश्वरत्व , व्यवहार के नियम के सहित न्यायपूर्ण व्यवहार का अनुसरण , अनुकरण I धर्मपूर्ण विचार में प्रवृत होना , इच्छा , विचार इनमें स्थापित होना I