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प्राप्त योग (prapta yog)
Page No:
131
Paribhashas:
मध्यस्थ व्यवहार, विचार एवं अनुभव प्राप्त योग है जो अनवरत् उपलब्ध है।
प्राप्त योग में न किसी का योग है न ही किसी का वियोग है।
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