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Paribhashas
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वनस्पति संसार के अवशेषों से कीड़े-मकौड़े के तैयार होने की विधि-पद्धति स्वेदज है। अभी भी प्रयोग करने पर कीड़े-मकोड़े तैयार होते हैं। ऐसे कीड़े-मकौड़े में से अण्डज प्रणाली स्थापित हुई जैसे चींटी-स्वेदज और अण्डज भी है। ऐसे अण्डज प्रवृत्ति विकसित प्रणाली में गण्य हो चुकी है। जो सब भूचर, खेचर, जलचर के रूप में स्पष्ट है। अण्डज संसार के समृद्ध होने के पश्चात पिण्डज संसार की शुरूआत हुई और पिण्डज संसार समृद्ध विकसित होने पर मानव परम्परा प्रकट हुई है और इसमें संवेदना से संज्ञानीयता तक जागृत होने की आवश्यकता बनी हुई है इसके सार्थक रूप होने के अर्थ में मध्यस्थ दर्शन सहअस्तित्ववाद प्रस्तुत हुआ है।
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