परिष्कृति पूर्ण संचेतना (parishkriti purn sanchetana)
- Page No: 112
- Paribhashas:
- अस्तित्व, विकास, जीवन, जीवन जागृति, रासायनिक-भौतिक रचना-विरचनाओं को असंदिग्ध रूप में जानने-मानने की क्रिया।
- मानव-संबंधी, नैसर्गिक संबंधों व उनमें निहित मूल्यों को पहचानने और निर्वाह करने में परिपूर्णता।