अनुक्रम से प्राप्त सतर्कता एवं सजगता पूर्ण समझदारी की अभिव्यक्ति, संप्रेषणा व प्रकाशन (अनुक्रम अर्थात् विकास और जागृति)।
अनुक्रम अर्थात् विकास एवं जागृति में प्राप्त सतर्कता एवं सजगतापूर्ण समझदारी, विचार शैली एवं जीने की कला जो स्वयं मानव परंपरा में प्रामाणिकता व समाधानपूर्ण अभिव्यक्ति, समाधान और न्यायपूर्ण संप्रेषणा तथा न्याय और नियमपूर्ण जीने की कला का प्रकाशन व क्रियाकलाप।
अनुभूति स्वयं प्रत्येक मनुष्य में होने वाली जीवन जागृति सहज जानने व मानने की क्रिया है।
अनुभव एक, अनुभूतियाँ अनेक। जागृति सहज अनुभवमूलक उपलब्धियाँ।
सहअस्तित्व ही संपूर्ण भाव है, इस कारण प्रत्येक एक अपने ‘त्व’ सहित व्यवस्था है और समग्र व्यवस्था में भागीदार है। प्रत्येक एक में वास्तविकता और सत्यता नित्य वर्तमान है, उसे यथावत् जानने मानने की क्रिया ही मनुष्य में अनुभव के नाम से जाना जाता है।
अस्तित्व संपूर्णता में, से, के लिए अनुभव।
प्रमाण, बोध, अनुक्रम एवं क्रम ही चारों अवस्था व पदों में निहित धर्म स्वभाव सहज अभिव्यक्ति।