चैतन्य इकाई (जीवन) में चारों परिवेशीय शक्तियों को वैभवित करने वाली मध्य में स्थित मध्यांश सहज अक्षय बल और उसका वैभव। क्रिया प्रक्रिया सहज पूर्ण चक्र अनुक्रम से प्राप्त ज्ञान प्रत्यावर्तन परावर्तन विधि से मध्यस्थ सत्ता व्यापक वस्तु सर्वत्र एकसा विद्यमान है यह प्रमाण प्रस्तुत होना अनुभव व समझ है, समझ ही अनुभव है।
सहअस्तित्व में अस्तित्व सहज परमाणुओं में विकास क्रम, विकास, जीवन, जीवन में जागृतिक्रम-जागृति, रासायनिक भौतिक रचना-विरचनाओं सहज यथार्थता वास्तविकता व सत्यता को जानने-मानने की क्रिया। जीवन तृप्ति सम्पन्न होने वाली क्रिया अनुभव क्रिया है। व्यापक वस्तु जड़-चैतन्य प्रकृति में पारगामी है यह मानव परम्परा में ज्ञान प्रमाण व विवेक विज्ञान रूप में प्रस्तुत होना अनुभव है जो सर्वतोमुखी समाधान है।
प्रत्येक मनुष्य में संचेतना पूर्णता सहज अर्थ में जानने-मानने, पहचानने और निर्वाह करने के रूप में क्रियारत है। पहचानने व निर्वाह करने की क्रिया जड़ प्रकृति में भी प्रमाणित है। मनुष्य में ही जानने और मानने का वैभव तृप्ति के रूप में है। सम्पूर्ण संबंधों और उसमें निहित मूल्यों को पहचानने व निर्वाह करने की अभिव्यक्ति, संप्रेषणा व प्रकाशन क्रिया। व्यापक वस्तु हर परस्परता में पारदर्शी है यह मानव परम्परा में भी प्रमाणित होना अनुभव है।