धरती (dharti)
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- Paribhashas:
- इसी धरती पर पदार्थ, प्राण, जीव और ज्ञानावस्था परंपरा के रूप में स्पष्ट है, पदार्थों का संगठित अणु रचित वृहद पिण्ड के रूप में यह धरती ठोस तरल विरल के रूप में होना द़ृष्टव्य है। धरती के साथ ही चारों अवस्थायें स्पष्ट होती है। धरती स्वयं पदार्थावस्था में है।