तादात्मयता (tadatmayata)
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- Paribhashas:
- भ्रमित अवस्था में भ्रमित आकार ही मन में आता है। फलस्वरूप मनाकार साकार होता है। जागृति मानव के मन में जागृति के लिए आवश्यकीय आकार मन में आता है उसका साकार होता है।
- स्वमूल्य का इष्ट के मूल्य में विलीनीकरण ही तादात्मय है। जागृति ही इष्ट है।